ऑपरेशन कावेरी : भारत ने सूडान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए बचाव अभियान

खार्तूम : भारत ने सूडान में फंसे अपने नागरिकों को निकालने के लिए बचाव अभियान- ऑपरेशन कावेरी शुरू किया। विदेश मंत्री एस जयशंकर के अनुसार बचाव अभियान अभी चल रहा है और लगभग 500 भारतीय सोमवार तक पोर्ट सूडान पहुंच चुके हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दो सी-130 विमान और नौसेना का जहाज आईएनएस सुमेधा हिंसा प्रभावित अफ्रीकी देश से भारतीयों को निकालने के लिए तैयार हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लगभग 4,000 भारतीय सूडान में फंसे हुए हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोच्चि में युवम कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा, ‘सूडान में गृहयुद्ध के कारण हमारे कई लोग वहां फंस गए हैं. इसलिए हमने उन्हें सुरक्षित लाने के लिए ऑपरेशन कावेरी शुरू किया है , केरल के बेटे और हमारी सरकार के मंत्री मुरलीधरन की देखरेख में ।”
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सूडान में लगभग 4,000 भारतीय फंसे हुए हैं। भारत सरकार ने हिंसा प्रभावित अफ्रीकी देश से भारतीयों को निकालने के लिए दो सी-130 विमान और नौसेना के जहाज आईएनएस सुमेधा को स्टैंडबाय पर तैनात किया है।
सूडान का संकट दरअसल सैन्य सत्ता के दो प्रमुख हिस्सों के बीच शक्ति संघर्ष का नतीजा है. एक तरफ देश के शासन की बागडोर संभाले हुए जनरल अब्देल फत्ताह बुरहान और उनके प्रति वफादार सैन्य बल हैं तो दूसरी तरफ रैपिड सपोर्ट फोर्सेस (आरएसएफ), अन्य हथियार बंद सैन्य समूह, है जो पूर्व जनरल मोहम्म्द हमदान दागालो के साथ है। संघर्ष की जड़ें कई साल पुरानी हैं जब ओमर अल बशीर नाम के तानाशाह को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था. बताया जाता है कि बशीर ने ही इस तरह से जानबूझ कर सैन्य तंत्र की रचना की थी जिससे सेना उनके खिलाफ कभी एक ना हो सके. यही वजह है कि जब बशिर की सत्ता गिरने के बाद लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू करने के प्रयास हुए संघर्ष शुरू हो गया जो कि अनपेक्षित नहीं था. राजधानी खार्तूम के राजनयिकों ने 2022 के शुरुआत में ही चेता दिया था कि ऐसे हिंसक संघर्ष हो सकता है.
सूडान में बचाव अभियान को सांकेतिक कारण से ऑपरेशन कावेरी नाम दिया गया है। कावेरी कर्नाटक और तमिलनाडु से होकर बहने वाली एक महत्वपूर्ण नदी है, जिसे देवी कावेरीअम्मा के रूप में पूजा जाता है। यह नाम एक नदी का प्रतिनिधित्व करता है जो बाधाओं के बावजूद अपने गंतव्य तक पहुँचती है, सूडान में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी का प्रतीक है।
यह पहली बार नहीं है जब भारत सरकार ने एक बचाव अभियान शुरू किया है और इसका नाम एक नदी के नाम पर रखा है। भारत सरकार ने एक साल से अधिक समय पहले युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीयों को निकाला था, और इस बचाव अभियान को ऑपरेशन गंगा करार दिया गया था। सूडानी सेना और एक अर्धसैनिक समूह पिछले 10 दिनों से सशस्त्र संघर्ष में लगे हुए हैं। संघर्ष ने कम से कम 273 नागरिकों सहित 427 से अधिक लोगों के जीवन का दावा किया है, और 3,700 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
युद्धरत गुट 25 अप्रैल से शुरू होने वाले 72 घंटे के युद्धविराम के लिए सहमत हो गए हैं, जिससे पश्चिमी, अरब और एशियाई देशों को देश से अपने नागरिकों को निकालने की अनुमति मिल गई है। सूडानी और पड़ोसी देशों के लोगों सहित करोड़ों लोग देश छोड़कर पिछले कुछ दिनों में मिस्र, चाड और दक्षिण सूडान भाग गए हैं।

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