चौबीस घंटे का सफरनामा बगैर मोबाइल के / शुक्रियानामा इंडिगो के लिए


मोपा एयरपोर्ट : जब जीवन के सारे रास्ते बंद हो जाएं, तो हताश ना होए और हिम्मत से काम ले। पिछले दिनों का वाक्या है। किसी कारणवश मुंबई जाना हुआ। मोपा एयरपोर्ट पर उतर कर बैग टटोला तो पता चला कि मोबाइल और चश्मा घर पर ही छूट गया है। फ्लाइट के टेकऑफ में करीब 1 घंटा रह गया होगा और वापस घर जाकर आना संभव नहीं था। तो हताश और निराश होने के बजाय मैंने पूछताछ की। मैंने गेट पर पूछा ‘अब आगे कैसे?’ गेट पर तैनात सीआरपीएफ के जवानों ने कहा कि टिकट काउंटर पर जाएं। पास में काउंटर पर मैंने अपना आधारकार्ड दिखाया और काउंटर पर बैठे स्टाफ ने मुझे टिकट की कॉपी निकाल कर दे दी। मैंने उसे गेट पर दिखाया और फ्लाइट पकड़ने की तैयारी में जुट गयी। जब घर में मुझे ड्रॉप कर घरवाले ने मेरा टेबल पर फोन देखा तो उनके होश उड़ गए और ‘अब क्या और कैसे ‘ वाला प्रश्न सामने आ गया।
मुझे सिर्फ अपना फोन नंबर याद था इसलिए मैंने एयरपोर्ट पर बूथकाउंटर ढूंढने की कोशिश की जो नहीं मिला। सामने से एयरहोस्टेस का एक ग्रुप आता दिखा । आजकल सिक्योरिटी की वजह से कोई अपना मोबाइल किसी को नहीं देता इसलिए मैंने किसी से मांगी भी नहीं। लेकिन एक

एयरहोस्टेस से मैंने अपनी समस्या बताई और कहा कि एयरपोर्ट पर मैं कहां से फोन कर सकती हूं। फिर क्या था ? उन तीन एयरहोस्टेस ने मुझे अपने बीच बिठाया और एक एयरहोस्टेस ने अपना मोबाइल देकर कहा कि आपको जहाँ और जितना कॉल करना है इससे करे।मेरे लिए ये बहुत रहत की बात थी। मैंने अपने मोबाइल पर मैसेज दिया।। व्हाट्सअप पर मैसेज दिया कि मैं टेकऑफ के लिए तैयार हूं और मुंबई पहंचकर फोन करूंगी।
बहरहाल ये एयरहोस्टेस ‘इंडिगो’ की थी और मुझे उनकी फ्लाइट से नहीं जाना था और मुझे उनकी फ्लाइट से नहीं जाना था। लेकिन उस वक्त उन तीनो ने जो मेरी मदद की और सिर्फ मदद ही नहीं बल्कि बल्कि मानसिक रूप से भी तस्सली दिया ,उसके लिए इंडिगो की एयर होस्टेस रीनू और उनकी तीन साथियों को मेरा दिल से शुक्रिया और कामना करती हूं कि मदद के लिए आप सबों के दिलों में हमेशा जगह बनी रहे।
और एक सीख ये भी – कागज़ कलम का दौर अभी ख़तम नहीं हुआ है। कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट की फोटोकॉपी साथ लेकर चले।

Written By Namita Sharan , Editor , Goa Samachar 

 

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